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सनातन धर्म की महत्ता और भारत की वैश्विक भूमिका: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश

अयोध्या में आयोजित भारतात्मा अशोक सिंघल वेद पुरस्कार-2024 समारोह के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म की महानता और इसकी प्रासंगिकता पर गहराई से विचार प्रस्तुत किए। अपने भाषण में, उन्होंने इस धर्म को “सच्चा धर्म” कहा और कहा कि इस पर कोई भी संकट पूरी मानवता के लिए खतरा है। आइए उनके भाषण के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र डालते हैं।

अशोक सिंघल: सनातन धर्म के प्रति समर्पित जीवन

अशोक सिंघल, जो विश्व हिंदू परिषद (VHP) के पूर्व अध्यक्ष थे, का जीवन सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार में समर्पित था। हालांकि उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन उनके जीवन का लक्ष्य धार्मिक और सामाजिक उत्थान था। वे राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे, और उनके अथक प्रयासों के कारण कई सामाजिक और धार्मिक सुधार संभव हो सके।

सिंघल के प्रयासों से वेद विद्यालय और एकल विद्यालय की स्थापना की गई, जो न केवल शिक्षा के प्रसार में मददगार साबित हुए, बल्कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान में भी अहम भूमिका निभाते हैं। यह विद्यालय राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए भी महत्वपूर्ण थे, जिससे समाज में धर्म और शिक्षा का गहरा संबंध स्थापित हुआ।

राम मंदिर: भारत के गुलामी से मुक्ति का प्रतीक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनवरी 2024 में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को “भारत के गुलामी के अंत” का प्रतीक बताया। उन्होंने इसे देश के लिए एक नया अध्याय बताया और कहा कि यह अशोक सिंघल जैसे समर्पित लोगों के जीवनभर के प्रयासों का परिणाम है। आदित्यनाथ ने कहा, “जब समर्पण सच्चा होता है, तो परिणाम भी निश्चित रूप से आते हैं।”

राम मंदिर के निर्माण ने भारत को एक सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान दी है, जो अब न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिष्ठित है।

सनातन धर्म का वैश्विक महत्व

आदित्यनाथ ने अपने भाषण में यह स्पष्ट किया कि सनातन धर्म न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर सनातन धर्म सुरक्षित और समृद्ध रहता है, तो यह वैश्विक मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। उनका मानना है कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर, जो संस्कृत भाषा में गहराई से निहित है, पूरी दुनिया को शांति और सद्भाव की ओर मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है।

आदित्यनाथ ने जोर देते हुए कहा, “अगर सनातन धर्म सुरक्षित है, तो दुनिया भी सुरक्षित है।” यह विचार न केवल भारतीय समाज में बल्कि वैश्विक समुदाय में भी गूंजता है, जहां धर्म और संस्कृति के प्रति आस्था और सम्मान का भाव महत्वपूर्ण है।

भारत की वैश्विक भूमिका

वर्तमान वैश्विक संकटों के समय में, आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया अब भारत की ओर आशा और नेतृत्व की दृष्टि से देखती है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का ही परिणाम है, जिसके कारण भारत विश्व में शांति और सद्भाव का अग्रदूत बनकर उभर रहा है।

इस दौरान उन्होंने चंपत राय और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अन्य सदस्यों को भी बधाई दी, जिन्होंने राम जन्मभूमि के प्रति समर्पण दिखाया है। राम मंदिर का निर्माण भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।

Bharat की सांस्कृतिक धरोहर

योगी आदित्यनाथ का भाषण न केवल सनातन धर्म की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को भी एक वैश्विक संदर्भ में प्रस्तुत करता है। उनके विचार स्पष्ट करते हैं कि सनातन धर्म मानवता के कल्याण का मार्गदर्शक है और इसके संरक्षण से ही दुनिया में शांति और सद्भावना बनी रह सकती है।

भारत का नेतृत्व अब न केवल आर्थिक या राजनीतिक क्षेत्र में है, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन में भी दुनिया उसकी ओर देख रही है।

अंत में, उन्होंने चंपत राय और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अन्य सदस्यों को राम जन्मभूमि के प्रति उनके समर्पण के लिए बधाई दी।

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