Ladakh Protest : पारा गिर रहा है, लेकिन लद्दाख का माहौल गरम है! जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद, लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश है लेकिन यहां के लोग चाहते हैं कि इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए और संविधान की छठी अनुसूची लागू हो। इसी मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
लद्दाख प्रदर्शन की मुख्य वजहें
- पूर्ण राज्य का दर्जा: लद्दाख के लोग चाहते हैं कि उन्हें अपनी सरकार चुनने और अपने राज्य के लिए कानून बनाने का अधिकार मिले।
- छठी अनुसूची: यह अनुसूची आदिवासी समुदायों को स्वायत्तता प्रदान करती है। लद्दाख के लोग चाहते हैं कि उनकी संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए उन्हें यह दर्जा दिया जाए।
- अन्य मांगें: प्रदर्शनकारियों ने लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें, नौकरी में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण और एक लोक सेवा आयोग (PSC) बनाने की भी मांग की है।
लद्दाख प्रमुख प्रदर्शनकारी
- सोनम वांगचुक: सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता, अनशन पर बैठ चुके है
- लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस: ये संगठन प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं
सरकार का रुख
- संगठनों से लिखित रूप में मांगों की सूची मांगी है।
- गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि सरकार लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करेगी
आगे क्या होगा?
अब यह देखना बाकी है कि सरकार लद्दाख के लोगों की मांगों को पूरा करती है या नहीं।
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यह प्रदर्शन लद्दाख के लोगों की गहरी इच्छा को दर्शाता है कि वे अपनी पहचान और अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं।
अतिरिक्त जानकारी
- छठी अनुसूची वर्तमान में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में लागू है।
- लद्दाख में लगभग 30,000 लोग प्रदर्शन में शामिल हुए, जो इसकी आबादी का एक तिहाई हिस्सा है।
यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीतिक बहस का केंद्र बने रहने की संभावना है।
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