ज्ञानवापी मंदिर/मस्जिद विवाद की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश को एक मुस्लिम संगठन से धमकी मिलने की सूचना मिली है। Bar & Bench @barandbench के सोशल मीडिया हैन्डल, X पर पोस्ट डाल कर स्वयं उन्होंने इसकी सूचना पब्लिक की है। इस पोस्ट में Bar & Bench ने इस मामले में गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई है। देखिए पोस्ट

न्यायाधीश को धमकी:
जज ने खुलासा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जारी किए गए कुछ आदेशों के बाद उन्हें एक मुस्लिम संगठन से धमकियां मिली थीं। खबरों के मुताबिक, उन्हें 32 पन्नों का धमकी भरा पत्र दिया गया, जिसके बाद वाराणसी में आपराधिक मामला दर्ज भी किया गया। धमकियों के संबंध में गिरफ्तारी न होने पर निराशा व्यक्त करते हुए न्यायाधीश ने अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए चिंता व्यक्त की।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, “अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मेरी मां और छोटा भाई दिनेश कुमार मेरी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और मैं उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं।”
व्यक्तिगत प्रभाव:
न्यायाधीश ने उन घटनाओं का जिक्र करते हुए उनके परिवार पर धमकियों के गहरे प्रभाव का खुलासा किया जहां उनके बच्चों ने भी उनकी सुरक्षा के लिए भय व्यक्त किया था। उन्होंने बताया कि, ”मेरे बच्चे भी मुझसे पूछते हैं पापा, चैनल पर खबर चल रही है कि आपकी जान को खतरा है ”
अदालत की प्रतिक्रिया:
अदालत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उनके अनुकरणीय नेतृत्व के लिए सराहना की। अदालत ने उन्हें समर्पण और बलिदान की प्रतिमूर्ति बताते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। 2010 के बरेली दंगा मामले में मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना तौकीर रज़म को तलब करने के दौरान अदालत की यह प्रशंसा निष्पक्ष न्याय के महत्व को रेखांकित करती है।
निष्कर्ष:
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में शामिल न्यायाधीश को दी गई धमकियां निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। धमकियों के बाद गिरफ्तारी में कमी न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था अनुपालन पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। जैसे-जैसे कानूनी कार्यवाही जारी रहती है, पुलिस के लिए इसमें शामिल सभी व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करना अनिवार्य है, जिससे न्याय के सिद्धांतों को कायम रखा जा सके और न्यायपालिका की अखंडता की रक्षा की जा सके।