बालक रामबालक राम के आभूषण

Devine Ornaments :दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि 22 जनवरी को स्थापित हुए “बालक राम” के विग्रह में क्या-क्या आभूषण जड़ित या विराजमान हैं। राम लला के प्रथम दर्शन तो हम कर ही चुके हैं और अब राम मंदिर भी भक्तों के लिए रोज खुला है। दर्शन के दौरान हम देखते हैं की बालक राम की मूर्ति में कई वस्त्र और आभूषण सुशोभित हो रहे हैं। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कोई साधारण वस्त्र या आभूषण नहीं हैं। इन सभी वस्त्रों या आभूषणों की कुछ विशेषताएँ हैं। मूर्ति के लिए आभूषण और वस्त्र अध्यात्म रामायण, वाल्मिकी रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे कई ग्रंथों के गहन शोध के बाद ही बनाए गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति का नाम रखा गया है “बालक राम”। तो आइये अब एक-एक कर समझते हैं बालक राम के आभूषणों के बारे में।

बालक राम का मुकुट (Ram lalla idol)

इस मुकुट की कीमत 11 करोड़ रुपए बताई गई है। यह मुकुट सूरत के डायमंड व्यापारी मुकेश पटेल की कंपनी ग्रीन लैब द्वारा मंदिर ट्रस्ट को दान में मिली है। इसका वजन 1.7 किलो है। यह मुकुट उत्तर भारतीय परंपरा से बना है। इस स्वर्ण निर्मित मुकुट में माणिक्य, पन्ना और हीरे जड़ित हैं। मुकुट के मध्य सूर्य चिह्न बना है, जो सूर्यवंश प्रतीक है। दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं।

Devine Ornaments : बालक राम ने पहनी हैं दिव्य आभूषण।

बालक राम के माथे पर तिलक : तिलक के बीच का हिस्सा बना है शुद्ध प्राकृतिक 3 कैरेट हीरे से और उसके चारों तरफ सफेद हीरे जड़े हुए हैं जो टोटल 10 कैरेट हो जाता है। आज्ञा चक्र बना है शुद्ध प्राकृतिक बर्मन रूबी से। आज्ञा चक्र शरीर के सात प्राथमिक चक्रों में से छठा चक्र होता है, जो मस्तक के बीच में और भौंहों के बीच स्थित होता है।


कुंडल: कर्ण आभूषण या कुंडलों को भी मुकुट की डिजाइन को ध्यान में रख कर उसके मैचिंग का बनाया गया है। इन कुंडलों को भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से बनाया गया है। कुंडल मयूर आकृति वाली डिजाइन में बनी हैं।


कंठा:  गले में अर्द्धचंद्राकार रत्नों से जड़ित कंठा लगाई गई है। सोने, हीरे, माणिक्य से भरे इस कंठा में फूल और सूर्य देव बने हैं। पन्ने की लाड़ियाँ लगी हैं।

हृदय: ह्रदय पर कौस्तुभमणि है, जो बड़े माणिक्य और हीरों से अलंकृत है। शास्त्र विदित है कि कौस्तुभ मणि एक तरह का रत्न है जो भगवान विष्णु धरण करते हैं। यह भी माना जाता है कि यह मणि देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक थी। यह बहुत ही प्रकाशमान होती है।


पदिक: कंठ से नीचे, और नाभिकमल से ऊपर तक जो हार है उसे पदिक कहते हैं। ये हीरे और पन्ने का पंचलड़ा है, पंचलड़ा मतलब पाँच लड़ियों वाला हार। इस हार मेनन नीचे एक बड़ा पेंडेंल लगाया गया है। पैरों में सोने के कड़े और पैजनियां पहनाए गए हैं।

विजयमाल या वैजयंती : यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा हार है। विजय की प्रतीक माने जाने वाली यह माला पांच फुट लंबी है और सोने से बनी है। इसमें कई माणिक्य लगे हैं। इस हार पर वैष्णव परंपरा के अनुसार मंगल चिह्न, सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख, मंगल-कलश दर्शाया गया है। इस पर पांच प्रकार के पुष्प कमल, चम्पा, पारिजात, कुंद और तुलसी को बनाया गया है।


धनुष-बाण: प्रभु राम के बाएं हाथ में 5.5 फुट का सोने का धनुष है। धनुष के छोर पर मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकनें हैं। दाएं हाथ में दो फुट का सोने का बाण है।

करधनी: कमर में कांची या करघनी पहनाया गया है। इसे भी सोने से बनाया गया है और इसके ऊपर प्राकृतिक छटा उकेरी गई है। हीरे, माणिक्य, मोती, पन्ने से अलंकृत है। पवित्रता का बोध कराती छोटी-छोटी पांच घंटियां लगी हैं। मोती, माणिक्य, पन्ने की लड़ियां लटक रही हैं।

भुजबंध, कंगन, मुद्रिका: दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रलों से जड़ित भुजबंध पहनाए गए हैं। दोनों हाथों में रत्न जड़ित कंगन और मुद्रिकाएं हैं। इनमें मोती भी लटक रहे हैं।

चरण: प्रभु के पैरों के नीचे कमल है। पैरों में सोने से बनी छड़ा और पैजनियाँ पहनाई गई हैं। कमल के नीचे सोने की माला बनाई गई है। खेलने के लिए चांदी के खिलौने बनाए गए हैं। इसमें झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौना गाड़ी तथा लट्टू रखे गए है।

वनमाला: गले में रंग बिरंगे फूलों की आकृति वाली वनमाला है। इसका निर्माण हस्तशिल्प संस्था शिल्पमंजरी ने किया है।


प्रभा मंडल: प्रभा- मंडल पर सोने का छत्र लगा है।

बालक राम के वस्त्र: रामलला की मूर्ति को बनारसी कपड़े से सज्जित किया गया है। इसमे एक पीली धोती और एक लाल ‘पताका’ या ‘अंगवस्त्रम’ है। ‘अंगवस्त्रम’ को शुद्ध सोने की ‘जरी’ और धागों से बनाया/सजाया गया है। प्रसिद्ध डिजाइनर मनीष त्रिपाठी (Ram Lalla Dress Designers Manish Tripathi) ने पौराणिक आधारों पर भगवान राम के वस्त्र तैयार किये। इन वस्त्रों को शुभ वस्त्रम नाम दिया गया है। वस्त्रों पर शुभ वैष्णव प्रतीक – शंख, पद्म, चक्र और मयूर बनाए गए हैं।

तो दोस्तों कैसी लगी ये अद्भुत जानकारी। ऐसी की जानकारियों के लिए जुड़े रहे हमारे सनातनी भारत से।

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