मथुरा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन: सनातन धर्म भारत का एकमात्र धर्म
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक भव्य सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 अगस्त को अपने विचार व्यक्त किए। इस संबोधन में उन्होंने सनातन धर्म की महत्ता पर जोर देते हुए इसे भारत का “एकमात्र धर्म” कहा। उनके इस भाषण ने सनातन धर्म की प्राचीनता, उसकी विरासत, और भारत में उसकी प्रमुखता पर ध्यान केंद्रित किया।
सनातन धर्म की प्राचीनता पर मुख्यमंत्री का बयान
योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण की शुरुआत सनातन धर्म की प्राचीनता और इसकी विश्वव्यापी महत्ता पर चर्चा करते हुए की। उन्होंने कहा कि कोई भी अन्य धर्म, मजहब या संप्रदाय इस बात का दावा नहीं कर सकता कि उनकी उत्पत्ति सनातन धर्म से पुरानी है। उन्होंने कहा:
“किसी का इतिहास 1400 साल का है, किसी का 2000 वर्ष पुराना है, कोई 2700 साल पुराना है, तो कोई 3000 वर्ष का कहेगा। लेकिन, इस धरती पर और खासतौर पर भारत का एक ही धर्म है, वह है सनातन धर्म।”
यह बयान स्पष्ट रूप से भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर की ओर इशारा करता है, जहां सनातन धर्म न केवल एक धार्मिक मार्गदर्शक रहा है, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र विधि भी है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन धर्म का अस्तित्व त्रेता और सतयुग से भी पुराना है और यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था।
विकास और विरासत पर प्रधानमंत्री की दृष्टि
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास और विरासत को एक साथ जोड़ने के दृष्टिकोण की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री विकास और विरासत की बात करते हैं, तो हम समझ सकते हैं कि हमारे पास कितनी समृद्ध और ऐतिहासिक विरासत है। योगी जी ने कहा कि यह न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र भी है।
भगवान श्रीकृष्ण की 521वीं जयंती का आयोजन
योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की 521वीं जयंती का आयोजन मथुरा में एक भव्य तरीके से मनाया जा रहा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की संस्कृति और परंपरा को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से भारत की समृद्ध विरासत और सनातन धर्म की महत्ता को और अधिक उभारा जा रहा है।
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सनातन धर्म और कलयुग की यात्रा
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कलयुग और द्वापर युग की यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि द्वापर युग के अंत में भगवान श्रीकृष्ण की लीला का अनुभव भारतवासियों को प्राप्त हुआ। उनके अनुसार, सनातन धर्मावलंबियों पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रही और यही कारण है कि आज भी सनातन धर्म का अस्तित्व अक्षुण्ण है।
“कलयुग में हम इतने वर्ष आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन सनातन धर्म की यात्रा अनवरत चलती रही है। इससे पहले त्रेता, उससे पहले सतयुग था। एक लंबा इतिहास और विरासत हमारे पास है, जिसे हमारे पूज्य संतों ने सहेज कर रखा है।”
सनातन धर्म की संरक्षण और गुरु-शिष्य परंपरा
योगी आदित्यनाथ ने गुरु-शिष्य परंपरा और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से सनातन धर्म के संरक्षण की महत्ता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कथा, वार्ता, भोज पत्रों, पांडुलिपियों, और गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से इस धरोहर को जीवित रखा गया है। आज भी धार्मिक आयोजन और कथा वार्ता सनातन धर्म की गहरी जड़ों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस संबोधन ने सनातन धर्म की महत्ता और इसकी प्राचीनता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसे भारत का “एकमात्र धर्म” बताते हुए कहा कि यह धर्म न केवल भारत की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह धर्म, संस्कृति और आस्था का एक अटूट स्तंभ है। उनके इस विचार ने भारत की ऐतिहासिक विरासत और सनातन धर्म के महत्व को और अधिक स्पष्ट किया है।
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