26 जनवरी 2024गणतंत्र दिवस 2024

Republic Day: सभी सनातनी (भारतीय) जानते हैं की भारत में दो राष्ट्रीय पर्व हैं – एक है 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस और दूसरा 26 जनवरी गणतंत्र दिवस। दोनों ही दिवसों पर Tiranga झण्डा फहराया जाता है। दोनों दिवसों के झण्डारोहण प्रक्रिया में अंतर होता है, जो कई लोगों को पता नहीं है। UPSC exam में भी इस विषय पर सवाल पूछे जाते हैं। तो चलिये आज बात करते हैं कि क्या अंतर हैं दोनों में।

सबसे खास अंतर

15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर झंडे को रस्सी में बांध कर नीचे रखा जाता है, फिर उसे झंडे के पोल में लगे पुल्ली के सहारे, खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, ऊपर जाने के बाद रस्सी खुल जाती है और झण्डा फहराने लगता है। इस पूरी प्रक्रिया को ध्वजारोहण (फ्लैग ह्वाईस्टिंग)/(Flag Hoisting) कहा जाता है।

26 जनवरी वाले समारोह में झण्डा पहले से ही ऊपर ही बंधा रहता है, झण्डा फहराने वाले, नीचे से सिर्फ रस्सी खींच कर उसकी गांठ खोल देते हैं और झण्डा खुल कर फहराने लगता है। इसे संविधान की भाषा में फ्लैग अनफर्लिन्ग (Flag Unfurling) (झण्डा फहराना) कहते हैं। है न कमाल की जानकारी।

दूसरा अंतर

15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर, भारत के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। पर क्यों ? क्योंकि, 15 अगस्त 1947 को कोई भारतीय राष्ट्रपति नहीं था उस समय लॉर्ड माउंट बेटेन भारत के गवर्नर हुआ करते थें और वह ब्रिटिश सरकार के अंदर काम करते थें इसलिए आधिकारिक तौर पर जवाहर लाल नेहरू ही देश के प्रमुख थें। उसी दिन पहली बार प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी ने ब्रिटिश झंडे को नीचे उतारकर भारतीय झंडे को ऊपर चढ़ाया था। भारतीय झण्डे का पहली बार द्वारा ध्वजारोहण ही किया गया था। तब से अब तक यही चलन है।

26 जनवरी, गणतंत्र दिवस समारोह में झण्डा देश के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। पर क्यों? क्योंकि संविधान का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, और गणतंत्र दिवस संविधान लागू होने की तिथि है। पहली बार 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने झण्डा फहराया था, उस समय झण्डा पहले से ही ऊपर बंधा हुआ था और उन्होंने रस्सी खींच कर उसे फहरा दिया था। तब से यह चलन में आ गया और आज भी गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा झण्डा फहराया जाता है।

तीसरा अंतर

यह अंतर झण्डा फहराने के स्थान का है। 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर, भारत के प्रधानमंत्री लालकिले के प्राचीर से ध्वजारोहण करते हैं और देश को संबोधित भी करते हैं।

26 जनवरी, गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति “कर्तव्य पथ” पर झंडा फहराते हैं, जिसे पहले राजपथ कहा जाता था और उस से भी पहले उसका मूल नाम किंग्सवे था। इसके अलावा गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले, देश के राष्ट्रपति टेलीविजन पर ‘राष्ट्र के नाम संबोधन’ देते हैं।

चौथा अंतर

चौथा अंतर समय का है। स्वतंत्रता दिवस सिर्फ 1 दिन मनाया जाता है जबकि गणतंत्र दिवस चार दिवसीय कार्यक्रम है। सबसे पहले दिन 26 जनवरी को प्रधानमंत्री दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। यहां पर, शहीदों की स्मृति में दो मिनिट का मौन रखा जाता है। बता दें की यहाँ एक अखंड ज्योति 24 घंटे और साल के 365 दिन जलती रहती है। फिर प्रधान मंत्री इंडिया गेट से गणतंत्र दिवस समारोह वाले स्थान कर्तव्य पथ पर आते हैं जहां राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के साथ पधारते हैं। फिर यहाँ से कार्यक्रम की शुरुआत सलामी देने के साथ होती है। इस दौरान भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत तथा तीनों सेनाओ भारतीय थल सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना द्वारा परेड और एयरशो का प्रदर्शन करते हैं। गणतंत्र दिवस के 3 दिन बाद  बीटिंग रिट्रीट समारोह से इस पूरे आयोजन का समापन होता है। यह हर साल 29 जनवरी को नई दिल्ली के विजय चौक पर होता है।

पाँचवा अंतर

गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा है। इस वर्ष 2024 में फ्रांस के राष्ट्रपति – इमैनुएल मैक्रों को समारोह का मुख्य अतिथि बनाया गया।

स्वतंत्रता दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं होता है। कोई परेड नहीं होता है, कोई शो नहीं होता है, ध्वजारोहण और सम्बोधन के बाद समारोह समाप्त हो जाता है।

अंत में

तो दोस्तों, आज हमे स्वतंत्रता दिवस समारोह और गणतंत्र दिवस समारोह में कई ऐसे अंतरों का पता चल जो हम पहले से नहीं जानते थे। जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारी वेबसाईट को बुक मार्क करें और नोटिफिकैशन allow करें। अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।

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