bharat ratna: आज PM नरेंद्र मोदी ने अपने X-अकाउंट पर पोस्ट लिख कर जनता को सूचित किया कि – “भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।” आज उनकी जन्म-शताब्दी यानि सौवें वर्षगांठ के अवसर पर यह पोस्ट प्रधानमंत्री जी ने की है। एक अन्य पोस्ट से यह भी पता चला कि मोदीजी ने स्वयं इसकी जानकारी फोन कर के उनके परिवारवालों को दी और गणतंत्र दिवस पर दिल्ली आने का न्योता दिया।
भारत रत्न किनको मिलता है?
भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो किसी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा को मान्यता देने के लिये दिया जाता है। यह सम्मान राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में, किसी विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को दिया जाता है। भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी। अब तक कुल 48 लोगों को भारत रत्न सम्मान दिया जा चुका है। इस सम्मान के साथ कोई धनराशि नहीं दी जाती है, लेकिन सरकारी आयोजनों में शामिल होने के लिए न्योता मिलता है। भारत रत्न पाने वाले को भारत सरकार की ओर से एक प्रमाणपत्र और एक मेडल दिया जाता है।
कर्पूरी ठाकुर का योगदान और जीवन परिचय?
24 जनवरी, 1924 को बिहार के पितौंझिया में पैदा हुए कर्पूरी ठाकुर भारत की आजादी की लड़ाई में एक प्रमुख व्यक्ति थे। नाई जाति से संबंध रखने वाले, उनके पिता एक किसान और पारंपरिक नाई थे। ठाकुर ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और 26 महीने जेल में बिताए। स्वतंत्रता के बाद, वह एक शिक्षक बन गए और समाजवादी आदर्शों की वकालत करते हुए अखिल भारतीय छात्र संघ से जुड़ गए।
1967 में, ठाकुर ने बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री की भूमिका निभाई। 1970 में, वह महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करते हुए मुख्यमंत्री बने, विशेष रूप से गरीबी को संबोधित करते हुए “रोटी, कपड़ा और मकान” का नारा दिया। ठाकुर के कार्यकाल में वंचितों के लिए कल्याण कार्यक्रमों की शुरुआत हुई।
1977 में, वह जनता पार्टी के तहत मुख्यमंत्री के रूप में लौटे और अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान पंचायती राज प्रणाली की शुरुआत की। मरणोपरांत पद्म भूषण प्राप्त करने वाले ठाकुर का 17 फरवरी 1988 को पटना में निधन हो गया।
उनके प्रभावशाली योगदान में प्रभावशाली गरीबी उन्मूलन नारा, पंचायती राज प्रणाली की स्थापना और गरीबों के लिए विभिन्न कल्याणकारी पहल शामिल हैं। बिहार के विकास में एक श्रद्धेय नेता के रूप में कर्पूरी ठाकुर की विरासत कायम है, लोगों ने उनकी स्मृति को संजोकर रखा है।
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