भारत में हिंदू आबादी में 7.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। बांग्लादेश में 66 प्रतिशत और पाकिस्तान में 80% हिंदू आबादी में गिरावट देखने को मिली है । आँकड़े चौंकाने वाले हैं।
हिंदू जनसंख्या में चिंताजनक गिरावट: एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के एक हालिया अध्ययन में दुनिया भर में हिंदू आबादी में गिरावट के बारे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। “Share-of-Religious-Minorities: A Cross-Country Analysis (1950-2015)” शीर्षक वाला यह व्यापक विश्लेषण, 65 साल की अवधि में धार्मिक जनसांख्यिकी में बदलाव की पड़ताल करता है। ऊपर इस लिंक पर पीडीएफ़ फाइल उपलब्ध है। तो इस पड़ताल में पिछले 74 सालों में जो धार्मिक परिवर्तनन आए हैं उनको बड़े ही सावधानी से डाटा के साथ दिखाया गया है। इस अध्ययन से हमे पता चलता है की हिंदुओं की आबादी में एक बड़ी कमी आई है। आइए संक्षेप में समझते हैं क्या है इस के अंदर की बातें।
हिंदू जनसंख्या में गिरावट
अध्ययन उन देशों में हिंदू आबादी में उल्लेखनीय गिरावट को उजागर करता है, जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं और वहाँ तो करता ही है जहां वे अल्पसंख्यक हैं, जो किसी से छुपा नहीं है। भारत में, 1950 और 2015 के बीच हिंदू आबादी में 7.8 प्रतिशत की तीव्र गिरावट देखी गई। इस बीच, भारत में ईसाइयों और मुसलमानों की जनसंख्या हिस्सेदारी में क्रमशः 5.3 प्रतिशत और 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बांग्लादेश: “असामान्य” गिरावट का मामला
सबसे भारी गिरावट बांग्लादेश में देखी गई, जहां 1950 से 2015 तक हिंदू आबादी में 66 प्रतिशत की कमी आई। 1950 में, बांग्लादेश की आबादी में हिंदू 23 प्रतिशत थे, लेकिन 2015 तक यह संख्या घटकर 8 प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट में इसे जनसांख्यिकीय झटका बताया गया है, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले गंभीर उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण को एक कारण बताया गया है।
अन्य दक्षिण एशियाई देश
- भूटान: हिंदू आबादी 1950 में 23 प्रतिशत से घटकर 2021 में 11 प्रतिशत हो गई, यानी 50 प्रतिशत की गिरावट।
- श्रीलंका: हिंदू आबादी 1950 में 20 प्रतिशत से घटकर 2015 में लगभग 15 प्रतिशत हो गई, यानी 28 प्रतिशत की गिरावट।
- पाकिस्तान: प्रतिशत के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण कमी, जहां हिंदू आबादी 1950 से 2015 तक 80 प्रतिशत गिर गई, 13 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत हो गई।
नेपाल और भारत: हिंदू बहुल देशों में गिरावट
केवल दो हिंदू-बहुल देशों नेपाल और भारत में भी गिरावट देखी गई। नेपाल की हिंदू आबादी 1950 में 84 प्रतिशत से घटकर 2015 में 81 प्रतिशत हो गई। बहुसंख्यक होने के बावजूद, इन देशों में हिंदुओं को अपने जनसांख्यिकीय बहुमत को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मुस्लिम-बहुल देशों में रुझान
दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन में कहा गया है कि मुस्लिम-बहुल देशों में, बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी आम तौर पर बढ़ी है। 1950 में 38 मुस्लिम-बहुल देशों में से 25 में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है।
निहितार्थ और चिंताएँ
मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय धारणा
हिंदू आबादी में गिरावट पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और संगठनों ने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। जबकि भारत में अल्पसंख्यकों के उपकार पर महत्वपूर्ण ध्यान दिया जाता है, पड़ोसी देशों में हिंदू आबादी में गंभीर गिरावट को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
धर्म परिवर्तन का मुद्दा
रिपोर्ट में भारत में धार्मिक रूपांतरण पर ठोस डेटा की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। विशेष रूप से, ईसाई धर्मांतरण चिंताजनक दर से हो रहा है, फिर भी मुख्यधारा का मीडिया शायद ही कभी इन कहानियों को कवर करता है। सरकार से धोखाधड़ी वाले धर्मांतरण का दस्तावेजीकरण करने और हिंदू आबादी की सुरक्षा के लिए एक व्यापक अध्ययन करने का आह्वान किया गया है।
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निष्कर्ष
ईएसी-पीएम का यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर हिंदू आबादी में गिरावट की चिंताजनक स्थिति को उजागर करता है। यह गिरावट, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में, हिंदू समुदायों के भविष्य के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएँ पैदा करती है। आज वैश्विक मंच पर हिंदुओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए तत्काल हस्तक्षेप, हिंदूफोबिया की पहचान और अनुकूल माहौल बनाने की आवश्यकता है। सरकार को भी इस मुद्दे पर खुल कर कुछ कहने या करने की जरूरत है।
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