नवद्वीप धाम मायापुर धामनवद्वीप धाम मायापुर धाम मंदिर के दर्शन

Shri Mayapur Dham, West Bengal / नवद्वीप धाम – सभी तीर्थों का सार l

दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम बताने वाले है एक ऐसे पवित्र धाम और मंदिर के के बार में जहां जाने मात्र से आपको दिन-प्रतिदिन के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में आत्मिक शांति की अनुभूति मिल जाती है। यहाँ की रंगत आपके दिलों दिमाग में अपना घर बना लेती है। यहाँ की, हवा में घुली शुद्धता, शरीर को पोषण देता है, थकान दूर कर देता है। और यह पवित्र धाम है, मायापुर का इस्कॉन मंदिर और नबद्वीप धाम । यह भारत के पवित्र ऐतिहासिक तीर्थ स्थानों में से एक है। मायापुर नबद्वीप धाम तीर्थ स्थान, पर आपको कई मंदिर और कई मठ देखने को मिलेंगे। इन मंदिरों और मठों को देखने और अनुभव करने हेतु यहाँ दुनिया भर से लोग आते हैं। यह एक प्रमुख धाम होने के साथ-साथ एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। मायापुर नवद्वीप धाम की आध्यात्मिक महिमा अपरिमित एवं अपरिमेय है। इस लेख में, हम मायापुर नबद्वीप धाम के कुछ अधिक प्रमुख और आसानी से सुलभ स्थलों का सारांश देने का प्रयास करने जा रहे हैं।

कहाँ है यह धाम ?

श्री मायापुर/नवद्वीप धाम, भारत के पश्चिम बंगाल के नादिया जिले का क्षेत्र है। यह जलंगी नदी और गंगा की सहायक नदी भागीरथी के संगम पर स्थित है। यह भागीरथी नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मायापुर, नवद्वीप के नौ द्वीपों में से एक है। यह चैतन्य महाप्रभु के धाम के रूप में जाना जाता है। मायापुर और नवद्वीप धाम, श्री चैतन्य देब (1418-1533) और इस्कॉन चंद्रोदय मंदिर के लिए प्रसिद्ध हैं. मायापुर से नवद्वीप धाम की दूरी 28.8 किलोमीटर है और इसे तय करने में लगभग 26 मिनट लगते हैं. यात्री इन धामों का दर्शन करने, भजन-कीर्तन में भाग लेने, गंगा स्नान करने और प्रसाद ग्रहण करने के लिए आते हैं।

कैसे पहुंचे ? 

मायापुर नवद्वीप के निकट है और कोलकाता से १३० कि॰मी॰ उत्तर में स्थित है, और वहां से सड़कों और रेल नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मायापुर से नबद्वीप धाम – टैक्सी से जाने में 26 मिनट लगते हैं । भक्त पैदल यात्रा से भी नबद्वीप धाम तक पहुचते हैं।

Navdweep Dhaam Railway staion गूगल मैप का लोकैशन यहाँ है से मायापुर पहुँचने का रास्ता यहाँ देख सकते हैं।

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महत्व

मायापुर, हिन्दू धर्म के गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के लिए एक पवित्र स्थल है, ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण के अवतार, श्री चैतन्य महाप्रभु का जन्म 1486 ईस्वी में मायापुर में हुआ था। यहां लाखों श्रद्धालु हर साल इनके दर्शन के लिए आते हैं। मायापुर में इस्कॉन समाज का एक मंदिर भी है, जिसे इस्कॉन मंदिर, मायापुर कहते हैं। नवद्वीप को आध्यात्मिक अभिव्यक्ति का एक संगम माना जाता है, क्योंकि श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपनी सारी लीलाएँ इसी पवित्र स्थान पर की थीं। नवद्वीप धाम में के नौ द्वीपों में से प्रत्येक पर भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके सहयोगियों ने अपनी दिव्य लीलाएँ कीं इसीलिए हर द्वीप पर उनकी याद में मंदिर या मठ बने हैं। सभी 9 द्वीपों को गंगा नदी की एक सहायक नदी अलग करती है।

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क्या थी इनकी लीलाएं ?

श्री चैतन्य महाप्रभु, गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय में प्रतिष्ठित आचार्य हैं। इनको कलियुग में भगवत प्राप्ति का साधन माना जाता है। श्री हरी नाम संकीर्तन, के प्रचार हेतु, श्री कृष्णा के भक्त रूप में ,श्री चैतन्य महाप्रभु अवतरित हुए। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है की है कि श्री कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ यहाँ चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट हुए थे। इन दोनों भाईयों ने श्री हरी नाम संकीर्तन का निर्माण किया। श्रीमद्भागवतम की शिक्षाओं के आधार पर हरिनाम संकीर्तन – हरे कृष्णा महामंत्र का सबसे बड़ा आशीर्वाद प्रदान करने के लिए ये दोनों प्रकट हुए थे। अपने सहयोगियों और भक्तों को पंचतत्व के साथ, उन्होंने बिना किसी योग्यता या अयोग्यता को देखे, किसी को भी और हर किसी को दिव्य कृष्ण प्रेम वितरित किया। जिस प्रकार भगवान चैतन्य और भगवान कृष्ण में कोई अंतर नहीं है, उसी प्रकार श्रीधाम मायापुर और वृन्दावन धाम में भी कोई अंतर नहीं है।

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क्यों जाते हैं यहाँ ?

गौड़ीय-वैष्णव भक्त हर साल नबद्वीप के नाम से जाने वाले नौ द्वीपों के समूह में भगवान चैतन्य की लीलाओं के विभिन्न स्थानों की परिक्रमा करते जाते हैं। इस परिक्रमा में लगभग 7 दिन लगते हैं। यह आयोजन गौर पूर्णिमा महोत्सव (भगवान चैतन्य के प्रकट दिवस) के आसपास होता है। भगवान के दिव्य प्रकटन दिवस का उत्सव मनाने के लिए दुनिया भर से भक्त इस शुभ परिक्रमा के लिए मायापुर आते हैं। मायापुर धाम का मुख्य आकर्षण चंद्रोदय मंदिर है, जो इस क्षेत्र में इस्कॉन द्वारा स्थापित पहला मंदिर है। पर्यटक प्रभुपाद की समाधि पर भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं, जो इस्कॉन के संस्थापक थे l

महामंत्र जपें :

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे रमा हरे रमा रमा रमा हरे हरे l

इस हरे कृष्णा महा मंत्र का नियमित रूप से नियम पूर्वक निर्धारित संख्या में जप करने से कई में से कुछ फायदे :

स्वास्थ में सुधार होगा

धन में वृद्धि होगी

लंबी आयु तक जीवित रहेंगें

परिवार में शांति

अपने से बड़ों की सुरक्षा

चिंताओं और जीवन के तनाव से मुक्ति

आकर्षक व्यक्तित्व

याददाश्त में सुधार

दुष्ट आत्माएं और भूत से छुटकारा

बुद्धिमत्ता बढ़ती है

आनंद प्राप्ति होती है ।

रिफरेन्स : World wide Web

संकलनकर्ता : श्री गिरिधर राव, भाग्यनगर ।

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