राम मंदिर इतिहास: 500 साल पुराना विवाद (1528 से 2024) इतिहास

राम मंदिर इतिहास : इस विवाद का मूल मुद्दा राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की स्थिति को लेकर है। विवाद इस बात को लेकर था कि क्या हिन्दू मंदिर को ध्वस्त कर वहा मस्जिद बनाया गया या मंदिर को मस्जिद के रूप में बदल दिया गया।

बाबरी मस्जिद को कब नष्ट किया गया

बाबरी मस्जिद को एक राजनैतिक रैली के दौरान नष्ट कर दिया गया था, जो 6 दिसंबर 1992 को एक दंगे में बदल गया था। बाद में इलाहबाद उच्च न्यायालय में भूमि शीर्षक का मामला दर्ज किया गया था , जिसका फैसला 30 सितम्बर 2010 को सुनाया गया था।

फैसले में, तीन न्यायाधीशों (इलाहबाद उच्च न्यायालय) ने फैसला दिया कि अयोध्या की 2.77 एकड़ (1.12 हेक्टेयर) भूमि को तीन भागो में विभाजित किया जाएगा, जिसमे 1/3 राम लला ,1/3 सुन्नी वक्फ बोर्ड (बाबरी मस्जिद) और शेष 1/3 निर्मोही अखाड़ा को दिया जाएगा।

पिछले फैसले को हटा दिया

9 नवंबर,2019 को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले को हटा दिया और कहा कि भूमि सरकार के कर रिकॉर्ड के अनुसार है। इसने हिन्दू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को एक ट्रस्ट को सौपने का आदेश दिया है। इसने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ ज़मीन देने का भी आदेश दिया।

राम मंदिर इतिहास 1528 से 2024

1528:- मुग़ल शासक बाबर 1526 में भारत आया था। 1528 तक वह अवध (अयोध्या) तक पहुंच गया। बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1528-29 में एक मस्जिद का निर्माण कराया था।

1853:-हिन्दुओ का आरोप कि भगवन राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ इसलिए हिन्दू – मुस्लिम का झगड़ा शुरू हुआ।

1859:-ब्रिटिश सरकार ने विवाद रोकने के लिए तारों की एक बाड़ खड़ी करके मुस्लिमो और हिन्दुओ को अलग-अलग प्रार्थनाओ की इजाजत दी।

1885:- मामला पहली बार अदालत में पंहुचा , महंत रघुबर दास ने फैज़ाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इज़ाज़त के लिए अपील दायर की।

23 दिसम्बर 1949:-50 हिन्दुओ ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी और विवाद बढ़ गया।

18 दिसम्बर 1961:- उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक़ के लिए मुकदमा दायर किया।

फरवरी 1986:-फैज़ाबाद जिला न्यायधीश ने विवादित स्थल हिन्दुओ को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। नाराज मुस्लिमो ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।

1992:-यह दंगा एतिहासिक रहा. 6 दिसंबर 1992 को, वीएचपी और शिवसेना सहित कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. इसके बाद, देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों की संख्या में लोगों की मौके पर मौत हो गई।

2011:-अयोध्या विवाद पर इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।

2017:- सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ़ कोर्ट सेटलमेंट का आवाहन किया और भाजपा के कई नेताओ पर आपराधिक साजिश आरोप लगाए गए।

2019 :- 09 ,नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया ,जिसमे फैसला ये था कि 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिन्दू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिएअलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया।

2020:- 25 मार्च 2020 को पुरे 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में शिफ्ट हुए और इसके बाद 5 अगस्त को भूमि पूजन किया गया।

2023:-अब एक बार फिर से श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चूका है, 22 जनवरी 2024 को रामलला के भव्य मंदिर का अभिषेक होगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्या विवाद जो कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, उसका निर्णय पांच जजों की मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा 9 नवंबर 2019 को दिया गया। इसके अंतर्गत उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शिया वक्फ बोर्ड, और निर्मोही अखाड़ा की याचिका को ख़ारिज कर दिया, एवं सुन्नी वक्फ बोर्ड को वाद लगाने का अधिकारी नहीं माना गया। ततपश्चात सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने 5-0 से एकमत होकर विवादित स्थल को मंदिर का स्थल मानते हुए, फैसला रामलला के पक्ष में सुनाया। इसके अंतर्गत विवादित भूमि को राम जन्मभूमि माना गया और मस्जिद के लिये अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने का आदेश सरकार को दिया। अब वहा पर भव्य श्री राम मंदिर निर्माण होगा।

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