Iran Israel War Update : नमस्कार साथियों स्वागत है आप सभी का सनातनी भारत पर, साथियों आज का ताजा अपडेट यह है कि, कल मॉर्निंग में सुबह 6:00 बजे इजराइल के ऊपर अटैक हुआ। ईरान की तरफ से ड्रोन और मिसाइल अटैक हुए। ये मिसाइल, इजराइल पर ना केवल पहुंच रही हैं बल्कि गिर भी रही हैं। इजराइल के पास आयरन डोम सिस्टम है एरो डिफेंस सिस्टम है इसलिए 99% तक हमलों को यह बर्बाद कर दे रही है। मामला क्या है ये हमला क्यों और कैसे हो रहा है। आज इस ब्लॉग में डिटेल से चर्चा करेंगे इस विषय के ऊपर।
ईरान अटैक्स इजराइल
यह तो पता ही होगा कि हालिया कुछ घटनाओं और हमास पर इस्रायल की कार्यवाही पर रिटल यानी बदले की कारवाई में ईरान ने, इजराइल पर हमला कर दिया है। अब इस हमले पर, हम जानेंगे कि दुनिया भर की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आ रही है। नेतन्याहू कब रिटेल री एक्शन करने वाले हैं क्या अमेरिका इन्हें अटैक करने देगा? या नहीं देगा ? इसमें केवल ईरान के द्वारा ही रिटल शामिल नहीं है, इसमें बहुत सी चीजें साख पर लगी हुई हैं। कारण यह है कि अमेरिका इस समय चुनाव के दौर में है और चुनाव के समय पर नेतनयाहू अगर बदला लेने के लिए ईरान पर हमला कर देते हैं तो हो सकता है कि हमला होते ही अमेरिका में बाइडन का संकट बढ़ जाए।
युद्ध हुआ तो विश्व प्रभावित होगा
इजराइल शांत नहीं रह सकता क्योंकि उसके ईगो का पॉइंट है कि भाई मेरे ऊपर हमला हो गया मैं चुप कैसे रह जाऊं ? शुरू किसने किया और कौन युद्ध खत्म करेगा इसी में सारा युद्ध चलने वाला है। चीजें थम जाएं तो बेहतर है क्योंकि अगर यहां पर एक बार भी बदले की कार्रवाई हुई यानी इजराइल ने ईरान पर हमला किया या फिर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो भारत पर क्या असर होगा ?
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सबकुछ उलट-पलट जाने वाला है। इसको समझने के लिए कि यह कितनी खतरनाक घटना है हम यूक्रेन और रूस के युद्ध का प्रभाव दुनिया पर क्या पड़ा देख सकते हैं। कमजोर ईकानमी वाले देश जैसे श्रीलंका बर्बाद हो गया? कैसे पाकिस्तान बर्बाद हो गया? कैसे नेपाल की आर्थिक स्थिति बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई। यहाँ तक की रशिया यूक्रेन के चलते ब्रिटेन तक की इकॉनमी में प्रभाव पड़ गया जिसके चलते ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बनकर आए।
क्या होगा इजराइल का युद्ध छिड़ गया तो
युद्ध की वजह से, एक बहुत बड़ा फारस की खाड़ी वाला क्षेत्र का यातायात बाधित हो जाएगा, जहां से भारत का बहुत सा तेल आता है। दुनिया के बहुत सी देशों को तेल वहां से पहुंचता है। अगर वह बाधित हुआ तो मान कर चलिए कि और कई इकॉनमी संभवतः इसके चपेट में आ जाएंगी। इजराइल का ईरान से, आज से नहीं लगभग 45 साल पुराना झगड़ा है।
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घटना शुरू कहां से हुई (तात्कालिक कारण)
इस पूरी घटना की शुरुवात तब होती है, जब इजराइल ने अपने पड़ोसी देश सीरिया, जिसकी राजधानी है दमस्क, और दमस्क के अंदर ईरान की जो एंबेसी थी उसके ही बगल में कॉन्सुलेट ऑफिस था, उस ऑफिस पर बॉम्ब गिरा दिया। यहां पर बम गिरने का परिणाम यह निकला कि यहाँ बैठे दो बड़े जनरल रैंक के लोग मारे गए। कॉन्सुलेट ऑफिस पर बॉम्ब गिराने का मतलब एंबेसी पर हमले जैसा निकाला गया। किसी भी देश की एंबेसी पर हमला होना, किसी भी देश के कॉन्सुलेट पर हमला होना उस देश पर हमला माना जाता है। ईरान ने अपनी एंबेसी और अपने कॉन्सुलेट पर हुए इस हमले का बदला लेने का दावा उसी समय कर दिया था। यह घटना 1 अप्रैल की थी । यह तो तय था कि ईरान बदला लेगा लेकिन यह माना जा रहा है कि रमजान का महीना चल रहा था तो ईरान ने तत्काल कार्यवाही नहीं की, रमजान के बाद ईद के खत्म होने का इंतजार किया और 12 तारीख को फिर अपडेट कर दिया कि अगले 48 घंटे में वो हमला करेंगे।
एक्शन में ईरान की सेना
एक जहाज, जो स्टेट ऑफ हरमुज से, पर्शियन गल्फ होकर के निकल कर आ रहा था, को ईरान के जो कोस्टल गार्ड्स ने उसे रोक लिया, और रोक कर के उसे हाईजैक कर लिया था। स्टेट ऑफ हरमुज पर ईरान का बहुत ज्यादा कंट्रोल है। ईरान से तेल को निकालने के लिए यही एक रास्ता है जिसे स्टेट ऑफ हरमुज कहते हैं।
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एक अन्य घटना में, यहां से एक इजराइली जहाज निकल रहा था, तो इसको भी ईरानी कोस्ट गार्ड्स ने रोक लिया। इस जहाज में 17 भारतीय नागरिक मौजूद थे, कुल मिलाकर 20 क्रू मेंबर थे। कल इसका हाईजैक हुआ। इसके बाद भी ईरान की सेना ने कम से कम 200 ड्रोन और मिसाइलों से अटैक शुरू किया है और आयरन डोम इनको रोकने में निरंतर प्रयास कर रहा है। इजराइल के चैनल पर यह जानकारी दी जा रही है कि ये ड्रोन का हमला है।
ईरान के अंदर एक धार्मिक नेता है खेमनी। खेमनी वो व्यक्ति हैं जिन्होंने पूरी तरह से धार्मिक आंदोलन करा कर के ईरान के अंदर सत्ता परिवर्तन करा दिया था। खेमनी ने रात को ट्वीट डाला कि – जिओनिक रेजीम विल बी पनिश्ड ।
इजराइल के ऊपर हमला केवल और केवल ईरान से डायरेक्ट नहीं हो रहा है ईरान ने अपनी बहुत सारी प्रॉक्सी साइट्स बनाई हुई है। प्रोक्सी साइट्स का मतलब बहुत से जगह ऐसे बसाए हुए हैं जैसे लेबनान के अंदर हिजबुल्लाह। देश तो लेबनान है लेकिन हिजबुल्लाह शिया आतंकी संगठन है उसने भी अपनी तरफ से धुआधार बम बरसाने शुरू कर दिए।
इस्रायल का जबाब
इस समय इजराइल के लगभग हर क्षेत्र में, सायरन की आवाज सुनाई दे रही है। इजराइल की डिफेंस फोर्सेस ने अपनी तरफ से यह जानकारी रात को ही दे दी थी कि ईरान ने हमारे ऊपर यूएवी से हमला बोल दिया है। इजराइली डिफेंस फोर्सेस की तरफ से रात 2:30 बजे अपडेट कर दिया गया था कि कि आईडीएफ इज ऑपरेटिंग एट फुल फोर्स टू डिफेंड दी स्टेट ऑफ इजराइल एंड पीपल ऑफ इजराइल। इसका मतलब, हम खुद को सेव करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
इजराइली डिफेंस फोर्सेस ने हमास के खात्मे के लिए आधा गाजा खाली करा लिया था। गाजा का जो हाल हुआ वो दुनिया को दिख रहा है। लेकिन अब देखना है ईरान का क्या हाल होगा ? इजराइली डिफेंस फोर्सेस अभी भी पूरी एनर्जी में है।
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ईरान कह रहा है, इजराइल से- द नेक्स्ट स्लैप विल बी हार्डर, द नेक्स्ट मिस्टेक, यू मेक विल बी एंड ऑफ योर फेक कंट्री। ईरान इस्रायल को कंट्री नहीं मानता। अब क्या यह सारी भगदड़ इजराइल में ही मची हुई है क्या किसी को इस बात का डर नहीं है कि इजराइल बदला लेगा। ईरानियंस में भी डर है लंबी-लंबी लाइनें पेट्रोल पंप्स और गैस स्टेशंस पर लगी हुई हैं।
इस्रायल के साथ कौन है?
इसी बीच में इजराइल के साथ में आकर खड़ा हो गया है जॉर्डन। जॉर्डन ने साफ कह दिया है – कि अगर इजराइल हमला करता है और ईरान अगर हमारे ऊपर से अपने एयरक्राफ्ट गुजारता है हम हवा में ही मार के गिरा देंगे हम अपने ऊपर से नहीं जाने देंगे। इजराइल को अपने जस्ट पड़ोसी कंट्री का सपोर्ट मिल गया है जो कि एक मुस्लिम कंट्री है यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। इजराइल और जॉर्डन का एक साथ आ जाना बड़ी बात इसलिए है क्योंकि, जब गाजा और हमास वाला मामला चला था, उस समय अमेरिका ने अपने विदेश मंत्री को जॉर्डन भेजा था।
इसी बीच में ब्रिटेन ने भी मिडिल ईस्ट में अपने एयरफोर्स जेट और फ्यूल टैंकर भेज दिए हैं, इस पूरे क्षेत्र में जहां-जहां से इजराइल पर हमले हो सकते हैं, उनमें एक तो ईरान है ही इसके अलावा लेबनान और सीरिया के कुछ क्षेत्र हैं जो अटैक कर सकते हैं। वैसे जॉर्डन ने ईरान को साफ मना कर दिया है।
इराक और गल्फ का क्या हाल है?
ईरान का तो इराक से काफी हद तक प्रभाव है, भी यह गोले दगवा सकता है। सऊदी अरब, कुवैत, बेहरेन, कतर, यूएई, ओमान यह बाकी की कंट्रीज हैं, जो कि गल्फ कंट्रीज हैं। ईरान और इनके बीच में एक दूसरे से कट्टर दुश्मनी है। कट्टर दुश्मनी किस बात की है? सुन्नी मुसलमान-शिया मुसलमान ये है जड़ । शिया-सुन्नी के प्रभुत्व की लड़ाई। दूसरा एक और कारण है -पहले 1948 में ईरान ने इजराइल को एक देश मान्यता दे दी थी। पर 1979 में जब यहां धार्मिक आंदोलन हुआ और यहां के जो राजा पहलवी थे उनको हटा कर के, खेमन जब पावर में आए तो उन्होंने इजराइल को एज ए कंट्री मान्यता देने से इंकार कर दिया था।
उस दौर में यानी कि 1979 से पहले गल्फ कंट्रीज ने मिलकर इजराइल पर हमला किया था। लेकिन तब इजराइल ने इनको फाइव डे वॉर में बुरी तरह पछाड़ा था। ईरान उस समय चुप बैठा रहा था। गल्फ कंट्रीस को काफी नुकसान हुआ था। अब ईरान जब हमला करने जा रहा है तो, यह लोग चुप बैठे हैं। जैसे सऊदी अरब से पूछा गया आप क्या बोलेंगे, तब सऊदी अरब बोला कि हम चाहेंगे कि यूएन इंटरफेयर करे शांति स्थापित करवाए।देश जैसे कि कतर है कुवैत है ये हल्के-हल्के प्रभाव में रहते हैं ईरान के तो ये अपनी तरफ से मैसेज दिए थे अमेरिका को कि आप हमारा एयर बेस यूज मत करना । अमेरिका को परवाह भी नहीं है वो पर्शियन गल्फ में अपने जहाज खड़ाकर के इनको निपटा सकता है।
अमेरिका क्या कर रहा है?
अमेरिका के राष्ट्रपति ने एनएसए के साथ में और अपने विदेश मंत्री के साथ में और पूरी कैबिनेट को बुला कर के मीटिंग की । अपनी तरफ से अमेरिका ने स्टेटमेंट दिया और स्टेटमेंट में इन्होंने एक ही लाइन बोली कि हम अपनी तरफ से कंफर्म करते हैं कि हम इजराइल की सुरक्षा में हर हाल में खड़े हैं। इजराइल की सुरक्षा में खड़े हैं इसका क्या अर्थ यह निकालता है कि प्रेसिडेंट बाइडन हमला नहीं करेंगे केवल डिफेंस देंगे। डिफेंस से मतलब यह हुआ कि ईरान की तरफ से चलाई जाने वाली मिसाइलों को हवा में ही मार गिराएंगे।
ब्रिटेन और अन्य देशों का रिएक्शन
इसी बीच ऋषि सुनक, ब्रिटेन की तरफ से उन्होंने ईरान के इस अटैक को बेकार अटैक बताया। उन्होंने कहा यह अटैक अगेंस्ट इजराइल है और हम इजराइल के साथ खड़े हैं। कनाडा के जस्टिन ट्रूडो ने भी कहा – मैं निंदा करता हूं ईरान के अटैक की और हम इस समय ईजराइल के साथ खड़े हैं। जर्मनी ने भी कहा – हम इसकी निंदा करते हैं और हम पूरी तरह से इजराइल के साथ खड़े हैं।
इंडिया क्या कह रहा है?
इंडिया ने कंसर्न पहले ही जारी कर दिया था। अभी कुछ दिन पहले तो हमने इजराइल में अपने लोग नौकरी करने भेजे हैं और इजराइल में सायरन बज रहे हैं उन घर परिवारों का क्या हाल हो रहा होगा जिनके बच्चे अभी इजराइल में नौकरी करने गए हैं दूसरा ईरान के साथ कुछ ही दिन पहले हमने व्यवहार अच्छे शुरू किए थे अमेरिकी प्रभाव थोड़ा-थोड़ा डाइल्यूट हो रहा था हम इनके साथ व्यापार पे काम शुरू किए थे 5500 करोड़ का मंगा रहे थे 20000 करोड़ का बेच रहे थे एक्सपोर्ट ज्यादा कर रहे थे चीनी चावल यह सब बेच रहे थे। लगभग सवा लाख करोड़ का व्यापार करता है इंडिया इजराइल और ईरान के साथ में और अगर इनके साथ में युद्ध होता है तो यह जो पूरा कारोबार है, यह बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा क्योंकि जहाज से सामान जाता है और गल्फ ही अटक गई तो सामान कैसे बेचेंगे।
भारत की असली चिंता व्यापारिक हित है। उसके अलावा हमारे लोगों को तो हम निकाल ही लाएंगे क्योंकि इजराइल में जिस दिन चाहेंगे हम अपने लोगों को वापस लेकर के आ जाएंगे मुद्दा केवल इतना ही है। बाकी आप इस विषय पर आप क्या सोचते हैं ? कमेन्ट में अपनी राय रख सकते हैं।
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