Lohri: लोहड़ी पौष के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद (माघ संक्रांति से पहली रात) यह पर्व मनाया जाता है। । यह मुख्यतः पंजाब का पर्व है। लोहड़ी का शाब्दिक अर्थ ल (लकड़ी) + ओह(गोहा = सूखे उपले) +ड़ी(रेवड़ी) है। लोहड़ी का त्यौहार पंजाबियों तथा हरयाणी लोगो का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। यह लोहड़ी का त्यौहार पंजाब , हरियाणा ,दिल्ली ,जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में धूम-धाम तथा हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले हर वर्ष मनाया जाता है।
Lohri 2024 कब है
यह प्रायः 13 जनवरी को मनाया जाता है परन्तु इस वर्ष 2024 में द्रिक पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को आ रहा है | और Lohri मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाती है | जिस कारन 2024 में ये पावन पर्व लोहड़ी को 14 जनवरी को मनाया जायेगा |
Lohri का महत्व
पुरानी मान्यताओं के अनुसार दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है। इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को माँ के घर में त्यौहार (वस्त्र ,मिठाई,रेवड़ी, फल आदि) भेजा जाता है। यज्ञ के समय अपने जमाता शिव का भाग न निकलने का दक्ष प्रजापति का प्रायश्चित भी इसमें दिखाई पड़ता है। जिन परिवारों में लड़के का विवाह होता है अथवा जिन्हे पुत्र प्राप्ति होती है , उनसे पैसे लेकर मोहल्ले या गांव भर में बच्चे ही बराबर -बराबर रेवड़ी बांटते है। इस तोहार में लोग नई फसलों को लोग अग्निदेव को समर्पित करते है। ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के पर्व के माध्यम से नई फसल का भोग सभी देवी-देवताओ तक पहुंच जाता है।
Lohri की आग क्यों जलाई जाती है ?
मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी की अग्नि जलाने का सम्बन्ध माता सती से है। प्रसिद्ध कथाओ के अनुसार प्रजापति दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया था जिसमे उन्होंने महादेव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया था लेकिन अपने पिता के प्रेम के लिए वे बिना आमंत्रण के ही वहा चली गई और प्रजापति ने उनके सम्मुख महादेव की बहुत निंदा की। जिससे व्यथित माता सती ने यज्ञ के अग्निकुंड में अपनी देह का त्याग कर दिया। काहा जाता है कि ये अग्नि माता सती को समर्पित है।
गाने और नृत्य:
लोहड़ी के त्यौहार को उत्तर-भारत में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। लोग लोहड़ी के मौके पर बड़े उत्साह से गाने गाते हैं और भांगड़ा, गिद्धा, और बहुत की रसातली नृत्य करते हैं।
लोहड़ी की मिठाई:
इस त्योहार पर लोग एक विशेष प्रकार की मिठाई, रेवड़ी बनाते हैं। इसमें तिल, गुड़, मूंगफली, और घी होते हैं। यह मिठाई एक बारीक सीली परत के साथ बनाई जाती है और खासकर लोहड़ी के दिन ही खाई जाती है। इसके साथ ही गुड़ से बनी गजक और तिल से बने लड्डू भी खाये जाते है।
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