भारत में, रेलवे प्राधिकृतियाँ फ़िल्म शूटिंग के लिए रेलवे स्थलों पर जैसे कि रेलवे स्थानों, ट्रेनों, और अन्य रेलवे संपत्तियों पर शूल्क लेती हैं। ये शूल्क शूटिंग की अवधि, स्थान, नियमित रेलवे कार्यों में व्यवधान की मात्रा, और फिल्म निर्माण टीम और रेलवे प्राधिकरणों के बीच कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
भारतीय रेलवे पर फ़िल्म शूटिंग के लिए कोई निश्चित या मानक दर नहीं है, क्योंकि यह एक परियोजना से दूसरे परियोजना में भिन्न हो सकती है। उत्पादन टीम को आमतौर पर रेलवे प्राधिकरणों से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, और अनुमति प्रक्रिया के हिस्से के रूप में शूल्क पर बातचीत की जाती है।
हाल कुछ वर्षों में, भारतीय रेलवे को कई बॉलीवुड और क्षेत्रीय भारतीय फिल्म निर्माणों के पृष्ठभूमि के रूप में उपयोग किया गया है। कुछ प्रमुख फ़िल्में जिनमें भारतीय रेलवे या रेलवे स्थानों पर शूट की गई थीं:
- “चेन्नई एक्सप्रेस” (2013): इस फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान और दीपिका पादुकोण की अभिनीति थी, और इसमें दक्षिण भारतीय रेलवे नेटवर्क पर फ़िल्माए गए कई दृश्य थे।
- “जब वी मेट” (2007): इस फ़िल्म को इम्तियाज अली ने निर्देशित किया था, और इसमें करीना कपूर ख़ान और शाहिद कपूर की अभिनीति थी, जिसमें ट्रेन यात्रा के यादगार दृश्य थे।
- “रंग दे बसंती” (2006): यह पूरी तरह से रेलवे पर आधारित नहीं थी, लेकिन इसमें दिल्ली के पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर फ़िल्माए गए दृश्य शामिल थे।
- “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” (1995): इस प्रमुख बॉलीवुड फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान और काजोल की अभिनीति थी, जिसमें यूरोपीय ट्रेन यात्रा के कई दृश्य थे, हालांकि इसे भारतीय रेलवे पर फ़िल्माया नहीं गया था।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं, और ऐसी कई फ़िल्में हैं जिनमें भारतीय रेल को फिल्मों में प्रमुखता से दिखाया गया है और जिन्होंने भारतीय रेलवे को अपनी कहानी की पृष्ठभूमि या अभिन्न अंग के रूप में उपयोग किया है। देश में ट्रेनों की लोकप्रियता और सर्वव्यापकता के कारण भारतीय सिनेमा में रेलवे का उपयोग एक आम बात है।