Causes of heart attack : – हृदय शूल और दिल का दौरा जैसे दिल के रोगो का फैलाव बड़ी तेजी के साथ हो रहा है खास तौर से भारत जैसे विकासशील देशो में यह बीमारी हर साल लाखो लोगो की जान ले लेती है क्योकि ज्यादातर विकासशील देशो में या तो उन्नत मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं है और अगर है भी तो महंगी होने के कारण आबादी के एक बड़े हिस्से ही पहुंच से बाहर है।
दूसरा लोगो में जागरूकता का आभाव और दौड़ भाग भरी जिंदगी में सेहत का ख्याल न रख पाने की मुश्किलें इसको और तेजी से बढाती जा रही है। लगातार उच्च रक्तचाप बने रहने से हृदय में अतिरिक्त दबाव बना रहता है जिससे हृदय रोग होने की सम्भावना ज्यादा रहती है। इसके आलावा डायबटीज भी हृदय रोगो को बढ़ाने वाला तथा उसको और भी ज्यादा विकराल बना देता है। क्योकि इसके कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और लम्बे समय तक बराबर बनी रहती है, तो धीरे-धीरे यह धमनियों को और भी ज्यादा जाम कर देता है।
कारण :
- एनजाइना – एनजाइना में भी हार्ट दर्द हो सकता है। एंजाइना दिल में ख़राब रक्त प्रवाह के कारण होता है। यह हृदय तक रक्त ले जाने वाली धमनियों की भीतरी दीवारों पर मोती पट्टिकाओं के निर्माण के कारण होता है। इस स्थिति में धमनिया संकीर्ण हो जाती है और ह्रदय में रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
- निगलने की समस्या – अगर आपको निगलने में मुश्किल हो रही है, तो इस स्थिति में भी हार्ट में दर्द हो सकता है। इसलिए अगर लम्बे समय तक आपको निगलने में दिक्कत हो रही है, तो इसे नजर अंदाज न करे।
- एसिडिटी- एसिडिटी की वजह से भी आपको हार्ट में दर्द महसूस हो सकता है। एसिडिटी की समस्या तब होती है, जब पेट का एसिड पेट से उस नली में वापिस चला जाता है, जो गले को पेट से जोड़ती है। इसलिए अगर आपको लम्बे समय से एसिडिटी की समस्या हो रही है, तो इस अनदेखा न करें। एसिडिटी में आपको हार्ट में दर्द के साथ ही पेट और सीने में जलन भी हो सकती है।
- हाई ब्लड प्रेशर- हाई ब्लड प्रेशर हृदय से जुड़ी एक समस्या होती है। इसमें हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। इसमें किसी व्यक्ति के ब्लड में दबाव अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से हार्ट में दर्द हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर गंभीर हृदय रोगो का कारण भी बन सकता है।
- पैनिक अटैक- हार्ट में दर्द होना पैनिक अटैक का भी एक संकेत हो सकता है। अगर आपको हार्ट में दर्द के साथ ही दिल की तेज धड़कन, साँस लेने में तकलीफ, अधिक पसीना आना और चक्कर आने जैसी दिक्कते हो रही है, तो ये सभी पैनिक अटैक के शुरुआती लक्षण हो सकते है। ऐसे में आपको इन लक्षणों को महसूस करने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
- हृदय रोग होने पर हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनिया संकरी और सख्त हो जाती है जिससे रक्त शरीर के अंगो में सही मात्रा में पम्प नहीं हो पाता है।
- रक्त में जब वसा की मात्रा अधिक हो जाती है तो अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों की भीतरी दीवारों पर एकत्रित होने लगता है और धमनियों के भीतर निरंतर ‘वसा ‘ की परत जमने से धीरे-धीरे धमनियों संकरी और कड़ी हो जाती है जिससे रक्त प्रवाह का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
- दरअसल हृदय का मुख्य कार्य ऑक्सीजन मिला शुद्ध को बाकि अंगो तक पहुँचाना होता है। जिसकी आपूर्ति हृदय की धमनियों ”कोरोनरी आर्टरीज” से मिलती है।
- अब यदि किन्ही कारणवश इन धमनियों में रूकावट (विषेशकर रक्त की धमनियों के भीतर चिकनाई की परत-दर-परत जमते जाने और धमनी का भीतरी व्यास कम हो जाने के कारण) उत्पन्न हो जाता है, तो ऐसी अवस्था में ह्रदय को रक्त की आपूर्ति पूरी तरह से न होकर कम मात्रा में और बाधित ढंग से होती है।
- हृदय रोग की शुरुवात में आराम की अवस्था में रोगी का किसी प्रकार काम चलता रहता है और उसे ज्यादा कुछ एहसास नहीं होता है। पर भारी काम करने पर परेशानी होने लगता है।
हृदय रोग के लक्षण
- घबराहट होना, सांस लेने में कष्ट होना, हृदय का अनियमित धड़कना, हृदय में तेज पीड़ायुक्त झटके अनुभव होना, पसीना छूटना, चककर आना, जी मिचलाना, तीव्र कमजोरी का अनुभव होना अथवा बेहोश हो जाना अदि।
- याद रखे दिल के दौरे का दर्द आराम करते हुए भी बना रहता है।
- एंजाइना का दर्द थकान के कारण होता है और विश्राम करने से दूर हो जाता है तथा उससे रक्तचाप और हृदय की धड़कन पर कुछ विशेष प्रभाव न पड़े तो ऐसी स्थिति में घबराने की कोई बात नहीं है।
- यदि थकान से आरम्भ हुआ दर्द विश्राम के बाद भी समाप्त नहीं होता और दर्द निवारक दवाइयों के सेवन से भी कोई लाभ न मिले तो समझना चाहिए कि “दिल का दौरा” पड़ रहा है तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द किसी (हृदय रोग विशेषज्ञ) चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और गम्भीरतापूर्वक रोगी का उपचार करना चाहिए।
हार्ट अटैक : उपचार
मेडिकेशन – हार्ट अटैक की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को दवाइया दी जाती है। दवाइयां में शामिल है :
एस्प्रिन – एस्प्रिन ब्लड क्लॉटिंग को कम करता है, साथ ही साथ नैरो आर्टरी में भी ब्लड को मूव करने में मदद करता है। यदि आपको ह्रदय में कोई भी परेशानी है, तो एस्प्रिन को हमेशा अपने साथ रखे।
ब्लड थिनिंग मेडिसिन – हार्ट अटैक की स्थिति में ब्लड थिनिंग मेडिसिन्स दी जाती है, जिससे कि खून ब्लड क्लॉट में न बदलें। इसे इंजेक्शन या ओरल मेडिसिंस द्वारा दिया जा सकता है।
नेट्रोग्लिसरिन – यह दवाई ब्लड वेसल्स को फ़ैलाने के लिए दी जाती है, ताकि हृदय को पर्याप्त मात्रा में ब्लड फ्लो मिल सके। इसके साथ ही यह ह्रदय में होने वाले दर्द से भी राहत प्रदान करती है। इसे जीभ के अंदर रखा जाता है, साथ ही साथ इसे इंजेक्शन के तहत भी दिया जा सकता है।
मॉर्फिन – यह दवाई हार्ट अटैक के दौरान होने वाले असहनीय चेस्ट पेन से राहत प्रदान करती है।
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