Lal krishna advani: 03 फरवरी 2024, आज PM Modi ने अपने X अकाउंट (ट्विटर) पर इस खबर को पोस्ट किया। “मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।”

एक अन्य पोस्ट में PM मोदी ने यह भी लिखा कि – “सार्वजनिक जीवन में आडवाणी जी की दशकों लंबी सेवा को पारदर्शिता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसने राजनीतिक नैतिकता में एक अनुकरणीय मानक स्थापित किया है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में अद्वितीय प्रयास किए हैं। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है।’ मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत अवसर मिले।”
संक्षिप्त जीवन परिचय
देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी जी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। 2002 से 2004 के बीच जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब इन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पद संभाला था। इनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से इन्होंने शुरुआती शिक्षा ग्रहण की थी। इसके बाद वह हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल में चले गए। विभाजन के समय इनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आकर बस गया। यहां इन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उनकी पत्नी का नाम कमला आडवाणी है। इनकी दो संतानें हैं, बेटे का नाम जयंत आडवाणी और बेटी का नाम प्रतिभा आडवाणी है।
राम मंदिर में योगदान
यह भारत रत्न उनके राम मंदिर में दिए योगदान के बदले मिला एक गिफ्ट माना जा रहा है। इस से पहले 2015 में उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन में एक जाना-माना चेहरा था, आडवाणी जी का। 25 सितंबर 1990 को उन्होंने राम रथ यात्रा का नेतृत्व किया, हालांकि इस यात्रा बीच में आडवाणी जी गिरफ्तार हो गए थे। इस घटना के बाद से ही राम मंदिर को लेकर जन जागृति में अत्यधिक बढ़ोतरी आई और लोगों ने इसके बारे में बोलना शुरू किया। और आज जब राम मंदिर बन गया है तो यह सम्मान उनके योगदानों के लिए एक पुरस्कार जैसा ही है।
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