हरी शंकर जैनहरी शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन।

Hari Shankar Jain: Father & Son Duo दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं, 68 वर्षीय, पेशे से वकील श्री हरि शंकर जैन जी और उनके बेटे श्री विष्णु शंकर जैन जी के बारे में। आज के समय में जितने भी ‘हिंदू तीर्थस्थलों’ के लिए कानूनी लड़ाइयां लड़ी जा रही हैं, उस केस का एक अभिन्न हिस्सा हैं ये दोनों। ज्ञानवापी से लेकर मथुरा में ईदगाह और दिल्ली में कुतुब मीनार तक प्रत्येक केस में पिता और पुत्र की इस जोड़ी ने सनातन के हित के लिए मोर्चा संभाल रखा है। हिन्दू हित का पर्याय है यह जोड़ी। भले ही ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद आज देश की राजनीति के केंद्र में है, पर इस केस के भी योद्धा हैं- ये दो वकील – पिता और पुत्र की जोड़ी।

What is the Background?

16वीं शताब्दी में, मुगल शासक औरंगजेब एक बहुत बड़ा मूर्ति विध्वंशक था, जो हिंदुओ के मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिद बनाता था। 16वीं शताब्दी में कई ऐसे मंदिर थे, जिन्हे औरंगजेब ने तोड़कर उन्ही मंदिरों का समान इस्तेमाल कर उन्हे मस्जिद का रूप दे दिया था।  इसका उहारण अयोध्या और काशी विश्वनाथ का मंदिर है। औरंगजेब के इस कृत्य का जिक्र उसके दरबारी लेखक साकी मुस्ताइद खान ने अपनी किताब ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ में किया है। 1965 में प्रकाशित वाराणसी गजेटियर के पेज नंबर- 57 पर भी इस आदेश का जिक्र है। इतिहासकारों का मानना है कि इस आदेश के बाद सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, केशवदेव समेत सैकड़ों मंदिरों को गिरा दिया गया था।

कौन से प्रमुख मंदिर गिराए गए?

मुगलों द्वारा समय-समय पर जिन मंदिरों को गिराया गया था उनमें वडनगर के हथेश्वर मंदिर, उदयपुर में झीलों के किनारे बने 3 मंदिर, उज्जैन के आसपास के मंदिर, गुजरात का सोमनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशवदेव मंदिर, अहमदाबाद का चिंतामणि मंदिर, बीजापुर का मंदिर, सवाई माधोपुर में मलारना मंदिर, मथुरा के कई मंदिर जिसमें राजा मानसिंह द्वारा 1590 में निर्माण कराए गए गोविंद देव मंदिर आदि प्रमुख हैं। इतिहासकारों का मानना है, देश में मुगलों द्वारा उस समय से अब तक 36,000 मंदिर तोड़े जा चुके हैं। कुछ इतिहासकार तोड़े गए मंदिरों की संख्या 70,000 से ऊपर का बताते हैं।

कौन कौन सा केस लड़ रही है यह जोड़ी ?

वकील हरि शंकर जैन,और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन, लगभग सभी ‘हिंदू तीर्थस्थलों’ के लिए लड़ी जा रही कानूनी लड़ाइयों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहे हैं। ज्ञानवापी केस अभी सुर्खियों में है। मथुरा में ईदगाह केस भी इनके मार्गदर्शन में चल रहा है। ताजमहल और दिल्ली में कुतुब मीनार पर भी केस इन्ही द्वारा लड़ा जा रहा है। Sanatan धर्म से संबंधित करीब 102 मामलों से ये दोनों जुड़े हैं। ज्यादातर मामलों में इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने जीत हासिल की। ज्यादातर केस अभी भी चल रहे हैं। मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि का मामला भी यही जोड़ी देख रही है। एक केस कुतुब मीनार का भी है जिसमे यह बहस का विषय है कि इसे बनाने के लिए, द्वारा तोड़े गए 27 हिंदू और जैन मंदिरों का मलबा इस्तेमाल किया गया। ताजमहल का शिवमंदिर तेजो-महालय होने का दावा। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 और वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती देने का भी बीड़ा इन दोनों ने उठाया हुआ है।

सनातन के महायोद्धा !

वर्षों से सनतानियों के दिमाग में उनके ही धर्म के प्रति नफरत और अपमान के भाव का बीज, फिल्मों, किताबों, कहानियों, धर्म परिवर्तन गैंग और पिछली सरकारों द्वारा बोया जा रहा था, पर आज एक शसक्त धार्मिक नेतृत्व होने की वजह से सनातन धर्म को एक नई पहचान मिली है। अपने मंदिरों को कानूनी लड़ाई लड़कर वापस लेना कोई आसान काम नहीं। यह काम किसी युद्ध से कम नहीं। और ये दोनों हैं इस युद्ध के महायोद्धा। इतना ही नहीं इन दोनों ने भारत के संविधान की प्रस्तावना में शामिल किए गए सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द के संशोधन की वैधता को भी चुनौती दी है। केवल साल 2021 में इस वकील पिता-पुत्र की जोड़ी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सात अलग-अलग केस दर्ज किए, जिसमें गंगा नदी, देवी नंदी और मां श्रृंगार गौरी का मामला है।

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