भारत का गुवाहाटी रेलवे स्टेशन दुनिया का पहला ऐसा रेलवे है जो शुद्ध रूप से सौर ऊर्जा (solar energy) से चलता है। गुवाहाटी भारत का पहला ऐसा रेलवे स्टेशन है जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर संचालित होता है। स्टेशन की छत पर 2352 सौर मॉड्यूल लगे हैं, जो 700 किलोवाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम हैं। यह अभिनव पहल न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करने का प्रयास करती है बल्कि बिजली के खर्च को भी काफी कम करती है।
लाखों रुपये की बचत
गुवाहाटी रेलवे स्टेशन में ग्रिड से जुड़े सौर पैनल जिनकी कुल क्षमता 700 किलोवाट (0.7 मेगावाट) है, ये पैनल स्टेशन, कोच डिपो और पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के तहत रेलवे कॉलोनी क्षेत्र की बिजली आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। भारतीय रेलवे के एक बयान के अनुसार, इस पहल से रेलवे नेटवर्क के लिए बिजली खर्च में लगभग 67.7 लाख रुपये (लगभग $99,900) की वार्षिक बचत हो रही है।
राज्य के स्वामित्व वाली इंजीनियरिंग फर्म, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स ने 6.7 करोड़ रुपये की इस परियोजना को अंजाम दिया। इस परियोजना के लिए धन कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) द्वारा प्रदान किया गया था, जो भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी है।

भारतीय रेलवे इस समय देश में बिजली और डीजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। वित्तीय वर्ष 2016 में, इसने ईंधन पर लगभग 31,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो इसके परिचालन खर्च का 18% था। इस बढ़ते ईंधन बिल को कम करने के लिए, राज्य-संचालित परिवहन नेटवर्क हाल के वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन की दिशा में कदम उठाया।
सौर ऊर्जा से संचालित रेलवे स्टेशन परियोजना में , 2025 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ अपनी ऊर्जा मांगों का लगभग 25% सौर ऊर्जा से पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावे 2025 तक भारतीय रेलवे 5,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की व्यापक रणनीति बना चुका है। वर्ष 2017 के जुलाई में, भारतीय रेलवे ने छत पर सौर पैनलों से सुसज्जित रेल गाड़ियों का प्रारंभिक बैच पेश किया, जो कोचों के अंदर प्रकाश, पंखे और सूचना प्रदर्शन प्रणालियों के लिए ऊर्जा प्रदान करता था।
कोचों को नई दिल्ली में उपनगरीय आवागमन के लिए नियोजित किया गया था, और रेलवे का अनुमान है कि सौर ऊर्जा संचालित कोचों से सुसज्जित प्रत्येक ट्रेन सालाना लगभग 21,000 लीटर डीजल बचा सकती है, जिसका मूल्य लगभग 12 लाख रुपये है।
मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और जयपुर सहित देश भर के छोटे शहरों में कई रेलवे स्टेशन भी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आंशिक रूप से सौर और पवन ऊर्जा पर निर्भर हैं।