भारतीय राजनीति में हमेशा ही तनाव और आपसी मुद्दों के चलते चर्चाओं का केंद्र रहा है। विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच विवाद और आलोचना के बीच, एक ताजा खबर आई है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गठबंधन पर ताजा कटाक्ष किया है। उन्होंने इस गठबंधन को “घमंडिया गठबंधन” कहा और कहा कि वे इसके पीछे छिपे सनातन धर्म को नष्ट करने का आदेश देना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में एक सभा को संबोधित करते हुए इस घमंडिया गठबंधन पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि उनके इस गठबंधन के साथ जुड़े विपक्षी दल का एक छिपा हुआ एजेंडा है, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म को नष्ट करना है।

इस घमंडिया गठबंधन की बात आई है तो इसके पीछे क्या है? इसका मतलब क्या है? यह एक बड़ा सवाल है, और हम इसे समझने का प्रयास करेंगे।

3 सितंबर को, उदयनिधि स्टालिन ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से करने के बाद एक विवाद खड़ा कर दिया और कहा कि इसका केवल विरोध नहीं “उन्मूलन” किया जाना चाहिए।

इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने ताना मारते हुए कहा कि इस गठबंधन के द्वारा सनातन धर्म को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे साफ हो जाता है कि सनातन धर्म के प्रति उनकी सख्त भावनाएँ हैं और वह उनकी इस धर्म के प्रति समर्थन करते हैं।

इस ताजा खबर से आया जाने वाला सवाल है कि यह गठबंधन किन मुद्दों पर आधारित है और इसका राष्ट्रीय राजनीति में क्या महत्व है। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से साफ होता है कि वे इस गठबंधन को एक खतरे के रूप में देखते हैं और उसके पीछे छिपे आदर्शों और धर्म के प्रति स्वागत नहीं करते।

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इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर भी तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने अपने शासन के दौरान मध्य प्रदेश राज्य और उसके लोगों को “बेहाल” छोड़ दिया था